Mirror Embroidery



मिरर कढ़ाई

मिरर कढ़ाई अर्थात कांच-कढ़ाई या mirror embroidery, गुजरात राज्य की विशेषता है। गुजरात राज्य के अलावा यह कला राजस्थान में और जाट समुदाय में भी काफी प्रचलित हैं।

मिरर कढाई (Mirror Embroidery)

कांच से कढ़ाई या मिरर का काम अकेले कभी नहीं किया जाता है। यह आम तौर पर अन्य प्रकार के सिलाई या कढ़ाई के साथ किया जाता हैं। मिरर कढ़ाई बड़े और छोटे दोनों प्रकार के कांच के साथ किया जाता है। इसमें कांच के साथ रंगीन धागे जैसे लाल, हरे, नीले, पीले या काले आदि का उपयोग करके कढ़ाई की जाती है। क्रॉस सिलाई, साटन सिलाई और बटनहोल सिलाई जैसे कई अलग-अलग प्रकार के कसीदे भी मिरर वर्क में उपयोग किए जाते हैं।

मिरर कढाई अक्सर मशीन की सहायता से की जाती है, लेकिन कुछ स्थानों पर यह काम अभी भी हाथ से किया जाता है। मशीन कढाई की तुलना में हाथ से मिरर कढाई में अधिक समय लगता है, इसलिए महँगा भी पड़ता है।

कांच की कढाई में विभिन्न आकार के दर्पण इस्तेमाल किये जाते है जैसे की गोल आकार, वर्ग आकार, हीरे के आकार इत्यादि। हालांकि आमतौर पर गोल आकार के दर्पणों का उपयोग सबसे ज्यादा होता है।

मिरर कढाई विभिन्न प्रकार के कपड़ों और वस्त्रों पर की जाती हैं। पश्चिमी देशों में भी इसकी भारी मांग है, इसलिए भारतीय वस्त्रों के साथ साथ इस embroidery का पश्चिमी वस्त्रों पर भी काफी उपयोग होता हैं।

पहनने के वस्त्र, पर्स, कुशन कवर, बेडशीट, पर्दे, सजावटी सामान, दीवार की लटकन, लेस इत्यादि पर मिरर का काम किया जाता है।